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What is Cohobation

Cohobation is an extra ordinary procedure of taking living energies of the plants by fermentation process in the form of essence which are obtained. Cohobation process was Invented by a swiss philosophers theophorestus Von hchenh in (1493-1541) later known as paracelesus.


In cohobation mathod the medicine are mixed acording to systematised plant to bring eats effects on the entired metabolism or for example Febrifuges medicine act on Lever, spleen, kidney, urethra and urinary system and Incase fever deu to any cause.


अर्थात सितासव विधी औषधी निर्माण का वह तरीका है। जिसके द्वारा पौधो के अन्दर सुरक्षित आदि शक्ति युक्त रस Spagaric Essence को निकाल कर बनाया जाता है। बसंत या पतझड़ ऋतु में जब पौधे पूर्ण रूप से विकसीत फल फूल से युक्त होते है। उस समय पौधे के जड़े फुल पत्ते इक्ठे किए जाते है। पौधा का पूर्ण रूप से धोकर साफ कर दिया जाता है। उसके बाद उस पौधे को एक जार में रख दिया जाता है। उसमें स्वच्छ पानी या D.W. इस प्रकार भरा जाता है कि जार के 1/3 भाग खाली रहे और जार को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहा पर स्वच्छ हवा मिल सके अर्थात वहा का तापक्रम 95° से ज्यादा न हो यदि Essence को तैयार करने के लिए पानी का 70° C से 95° C तक गर्म करने पर Essence तैयार किया जा सकता है।


कुछ दिनों के बाद पौधो के essence निकलने लगता है। इसके बाद पौधों को बाहर निकालकर फेंक दिया जाता है। और उसके स्थान पर दुसरा पौधा लिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखी जाती है। तब रोक की पानी का रंग अंगुरी रंग का नहीं हो जाए इसके बाद इसी तरह से पौधों में उसमें डाला जाता है। एक ऐसा समय आता हैं। जब पौधो का exsence निकलना बंद हो जाता है। बल्कि सड़ने लगता है। इस पर sachurated solution तैयार हो जाता है। यह अंगुरी रंग का essence फिर जार में बैठ जाता है। और फिर essence को filter कर लिया जाता है। इस प्रकार essence तैयार हो जाता है। वही spagric essence हैं।


तथा spagric essence के निकालने की इस पद्धतियाँ को Cohobation (सितासव) विधी कहते है।





 
 
 

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